The last Step

The Last Step The Last Step Aryan had spent years trying to build his dream business. He had invested his savings, sacrificed sleep, and endured countless failures. Yet, success remained out of reach. Frustration weighed on him, and one night, standing on his balcony, he thought of giving up. Just then, his old neighbor, Mr. Mehta, a retired mountaineer, walked by and noticed his troubled face. “Thinking of quitting?” Mehta asked. Aryan sighed. “I’ve tried everything. Maybe it’s just not meant for me.” Mehta smiled and said, “Let me tell you a story. Years ago, I was climbing the Himalayas with a team. The weather turned harsh, and exhaustion hit us hard. When we were just a few hundred meters from the summit, I almost turned back. But my guide said, ‘Take one more step.’ I did. Then he said it again. Step by step, I reached the top.” He looked Aryan in the eyes. “Most people quit when they are just one step away from success. Maybe all you need is one more step.” Aryan stayed up that night, thinking. The next morning, instead of quitting, he took one more step—reaching out to an investor. Within weeks, things started changing, and soon, his business finally took off. He smiled, remembering Mehta’s words: Success is often just one step beyond failure.
Bhangrakh ke kahani

भानगढ़ की रहस्यमयी छाया” राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला, सदियों से रहस्य और डर की कहानियों का केंद्र रहा है। किले के पास बसे गाँव के लोग मानते हैं कि सूरज ढलने के बाद इस किले में अजीबो-गरीब घटनाएं होती हैं। कहानी की शुरुआत यह कहानी शुरू होती है आयुष और उसकी दोस्तों की टोली से, जो भूत-प्रेत की कहानियों में विश्वास नहीं करते थे। कॉलेज में पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने भानगढ़ किला घूमने की योजना बनाई। सूरज ढलने से पहले सब किले में घूम-फिरकर फोटो खींचने लगे। किले की प्राचीन दीवारों पर लगे काले निशान, टूटी-फूटी इमारतें, और पेड़ों से गिरती सूखी पत्तियाँ माहौल को और डरावना बना रही थीं। जब अंधेरा होने लगा, तो किले के चौकीदार ने उन्हें बाहर जाने को कहा। लेकिन आयुष और उसके दोस्त रोमांच के चक्कर में किले में ही रुक गए। उन्होंने सोचा कि रातभर ठहरकर इस जगह की सच्चाई का पता लगाया जाए। रात का आतंक रात गहरी होने लगी। हवा में अचानक ठंडक बढ़ गई, और चारों ओर सन्नाटा छा गया। तभी उन्हें एक धुंधली परछाई दिखाई दी, जो किले की एक टूटी हुई दीवार के पास खड़ी थी। वे पास जाकर देखने की कोशिश करने लगे, तभी वह परछाई हवा में गायब हो गई। डर के मारे उनके रोंगटे खड़े हो गए। अचानक, एक लड़की की धीमी-सी सिसकियाँ सुनाई दीं। उन्होंने उस आवाज़ का पीछा किया और देखा कि एक सफेद साड़ी पहने लड़की किले के पुराने मंदिर के पास बैठी थी। जैसे ही उन्होंने उससे बात करने की कोशिश की, वह पलटकर खड़ी हो गई। उसकी आँखें लाल थीं, और चेहरा ऐसा था मानो किसी ने उसे जलाया हो। आयुष चिल्लाया, “भागो!” सभी दोस्त उल्टे पाँव भागने लगे। रास्ता अंधेरे में ठीक से नहीं दिख रहा था, और उनके पीछे वो परछाई हवा में तैरती हुई आ रही थी। सूरज की पहली किरण भागते-भागते जब वे किले के बाहर पहुँचे, तब जाकर उन्हें राहत मिली। सुबह की पहली किरण के साथ ही सब कुछ सामान्य हो गया। गाँववालों ने बताया कि वह लड़की रत्नावती की आत्मा है, जिसे एक काले जादूगर ने श्राप दिया था। उसी श्राप के कारण भानगढ़ तबाह हो गया, और रात में यहाँ आत्माएँ भटकती हैं। इस घटना के बाद आयुष और उसके दोस्तों को अहसास हुआ कि हर कहानी में एक सच्चाई छिपी होती है। भानगढ़ की यात्रा ने उनके जीवन को बदल दिया और उन्हें सिखाया कि कुछ रहस्य अनसुलझे ही अच्छे होते हैं।
Kumbh Mele Ke kahani

कुंभ मेले कुंभ मेले की शुरुआत समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से होती है। अमृत पाने के लिए देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। जब अमृत कलश निकला, तो इसे लेकर देवताओं और असुरों में संघर्ष शुरू हो गया। अमृत को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर असुरों को भ्रमित किया और अमृत कलश लेकर भाग गए। भागते समय अमृत की बूंदें चार पवित्र स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं। माना जाता है कि इन स्थानों पर स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए हर 12 वर्ष में इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी हिस्सा है।