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भानगढ़ की रहस्यमयी छाया"

 

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला, सदियों से रहस्य और डर की कहानियों का केंद्र रहा है। किले के पास बसे गाँव के लोग मानते हैं कि सूरज ढलने के बाद इस किले में अजीबो-गरीब घटनाएं होती हैं।

कहानी की शुरुआत

यह कहानी शुरू होती है आयुष और उसकी दोस्तों की टोली से, जो भूत-प्रेत की कहानियों में विश्वास नहीं करते थे। कॉलेज में पढ़ाई खत्म होने के बाद उन्होंने भानगढ़ किला घूमने की योजना बनाई। सूरज ढलने से पहले सब किले में घूम-फिरकर फोटो खींचने लगे। किले की प्राचीन दीवारों पर लगे काले निशान, टूटी-फूटी इमारतें, और पेड़ों से गिरती सूखी पत्तियाँ माहौल को और डरावना बना रही थीं।

जब अंधेरा होने लगा, तो किले के चौकीदार ने उन्हें बाहर जाने को कहा। लेकिन आयुष और उसके दोस्त रोमांच के चक्कर में किले में ही रुक गए। उन्होंने सोचा कि रातभर ठहरकर इस जगह की सच्चाई का पता लगाया जाए।

रात का आतंक

रात गहरी होने लगी। हवा में अचानक ठंडक बढ़ गई, और चारों ओर सन्नाटा छा गया। तभी उन्हें एक धुंधली परछाई दिखाई दी, जो किले की एक टूटी हुई दीवार के पास खड़ी थी। वे पास जाकर देखने की कोशिश करने लगे, तभी वह परछाई हवा में गायब हो गई। डर के मारे उनके रोंगटे खड़े हो गए।

अचानक, एक लड़की की धीमी-सी सिसकियाँ सुनाई दीं। उन्होंने उस आवाज़ का पीछा किया और देखा कि एक सफेद साड़ी पहने लड़की किले के पुराने मंदिर के पास बैठी थी। जैसे ही उन्होंने उससे बात करने की कोशिश की, वह पलटकर खड़ी हो गई। उसकी आँखें लाल थीं, और चेहरा ऐसा था मानो किसी ने उसे जलाया हो।

आयुष चिल्लाया, “भागो!” सभी दोस्त उल्टे पाँव भागने लगे। रास्ता अंधेरे में ठीक से नहीं दिख रहा था, और उनके पीछे वो परछाई हवा में तैरती हुई आ रही थी।

सूरज की पहली किरण

भागते-भागते जब वे किले के बाहर पहुँचे, तब जाकर उन्हें राहत मिली। सुबह की पहली किरण के साथ ही सब कुछ सामान्य हो गया। गाँववालों ने बताया कि वह लड़की रत्नावती की आत्मा है, जिसे एक काले जादूगर ने श्राप दिया था। उसी श्राप के कारण भानगढ़ तबाह हो गया, और रात में यहाँ आत्माएँ भटकती हैं।

 

इस घटना के बाद आयुष और उसके दोस्तों को अहसास हुआ कि हर कहानी में एक सच्चाई छिपी होती है। भानगढ़ की यात्रा ने उनके जीवन को बदल दिया और उन्हें सिखाया कि कुछ रहस्य अनसुलझे ही अच्छे होते हैं।